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23 अप्रैल 2009

भारत में कपास उत्पादकों को सब्सिडी से अमेरिका चिंतित

वॉशिंगटन: भारत सरकार द्वारा अपने कपास उत्पादकों को उपलब्ध कराई जा रही सब्सिडी से अमेरिका के माथे पर बल पड़ गया है। अमेरिकी कपास उद्योग ने इसे विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के नियमों का उल्लंघन करार दिया है। अमेरिका अंतरराष्ट्रीय व्यापार आयोग के समक्ष 'टैरिफ और नॉन-टैरिफ उपायों का अमेरिकी कृषि निर्यात पर प्रभाव' विषय पर सुनवाई के दौरान नेशनल कॉटन काउंसिल (अमेरिकी कपास उद्योग के केंद्रीय संगठन) ने इस मामले में प्रशासन से मदद मांगी। परिषद के गैरी एडम्स ने कहा कि भारत का सब्सिडी कार्यक्रम व्यापार में एक बड़ी बाधा है क्योंकि इसमें पारदर्शिता का अभाव है। एडम्स ने कहा कि हालांकि भारत डब्ल्यूटीओ का सदस्य है, लेकिन वह डब्ल्यूटीओ को अपनी सब्सिडी के स्तर की जानकारी नहीं दे सका है। उन्होंने कहा कि अमेरिका को इस मसले में भारत पर दबाव डालना चाहिए। एडम्स का कहना था कि भारत में किसानों के लिए जो निर्यात सब्सिडी कार्यक्रम चलाया जा रहा है, उससे विश्व बाजार में उनकी प्रतिस्पर्द्धा कृत्रिम तौर पर बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि भारत में अतिरिक्त निर्यात सब्सिडी (तीन से पांच फीसदी की सरकारी रियायत) से भारतीय कपास निर्यातक अपने अन्य प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में अधिक मजबूत हो सकते हैं। एडम्स ने आरोप लगाया कि भारत ने अपनी आंतरिक सब्सिडी का स्तर बढ़ा दिया है और सब्सिडी वाली कपास के निर्यात का विस्तार कर दिया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका के कपास निर्यात में गिरावट आई है। इसके साथ ही भारत जैसे देशों ने इस खाली स्थान को भरने का प्रयास किया है। उन्होंने उत्पादन, निर्यात और यहां तक कि सब्सिडी आधारित कार्यक्रम का विस्तार किया है। परिषद के प्रतिनिधियों का कहना है कि दुनिया के अन्य देशों के कपड़ा उद्योग की तरह भारत में भी इस उद्योग को सरकारी औद्योगिक नीतियों में छूट दी जाती है। (ET Hindi)

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