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28 अप्रैल 2009

मंदी से मांग कम होने पर भी कॉटन यार्न महंगा

आर्थिक संकट के कारण कॉटन यार्न की मांग में कमी आई है। लेकिन मांग की कमी के चलते कॉटन यार्न के भाव कम नहीं हैं बल्कि कॉटन के दाम अधिक होने के कारण मूल्य पिछले साल के मुकाबले करीब 12 फीसदी तक ऊपर हैं। कारोबारी मांग में कमी और दाम अधिक होने से कॉटन यार्न की खरीदारी जरूरत के हिसाब से ही कर रहे हैं। अग्रवाल थ्रेड कंपनी के विपिन बंसल ने बिजनेस भास्कर को बताया कि आर्थिक संकट के चलते कॉटन यार्न की मांग में पिछले साल के मुकाबले 20 फीसदी तक की कमी आई है। वहीं दूसरी ओर यार्न बनाने में उपयोग होने वाले को कच्चे माल के महंगा होने के कारण इसकी कीमतों में भी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। पिछले एक साल के दौरान बाजार में 4x6 कॉटन यार्न के भाव 330 रुपये से बढ़कर 380 रुपये प्रति बंडल (4.5 किलो), 6x6 यार्न के दाम 340 रुपये से बढ़कर 390 रुपये प्रति बंडल हो चुके है। कारोबारियों के मुताबिक कॉटन यार्न की मांग में गिरावट की दूसरी वजह इसके दाम अधिक होने को भी माना जा रहा है। रुई मंडी ट्रेडर्स एसोसिएशन के चेयरमैन और मैसर्स गर्ग ब्रदर्स के मालिक के. के. गर्ग ने बताया कि इन दिनों कारोबारी यार्न की खरीदारी जरूरत के हिसाब से ही कर रहे है। उनका कहना है कि आर्थिक संकट के चलते कारोबारियों के पास धन की तंगी भी चल रही है। ऐसे में कारोबारी यार्न का स्टॉक करके जोखिम उठाना नहीं चाह रहे है। सरकार ने कॉटन का न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी वित्त वर्ष 2007-08 के मुकाबले इस साल करीब 40 फीसदी बढ़ा दिया था। वहीं चालू कॉटन सीजन में इसकी पैदावार में गिरावट आने का अनुमान है। भारतीय कपास निगम (सीसीआई) के मुताबिक कॉटन की पैदावार घटकर 290 लाख गांठ (एक गांठ 170 किलो) रहने का अनुमान है जबकि वित्त वर्ष 2007-08 में 315 लाख गांठ कॉटन की पैदावार हुई थी।कारोबारियों का कहना है कि कॉटन का एमएसपी बढ़ने और पैदावार में कमी के चलते इसकी कीमतें पिछले साल के मुकाबले अधिक हैं। यही कारण है कि कॉटन यार्न के मूल्यों में बढ़ोतरी हुई है। भारत से कॉटन यार्न का निर्यात भी किया जाता है। मिस्र भारतीय कॉटन यार्न का सबसे बड़ा आयातक है। (Business Bhaskar)

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