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21 अप्रैल 2009

डॉलर की मजबूती से तेल फिसला

लंदन- अमेरिकी अर्थव्यवस्था की हालत को लेकर उभरती चिंता और डॉलर की मजबूती के चलते सोमवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें 3 फीसदी से ज्यादा गिरकर 49 डॉलर प्रति बैरल से भी नीचे आ गईं। अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने रविवार को कहा था कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर अब भी दबाव बना हुआ है और उनके वरिष्ठ आर्थिक सलाहकार ने आशंका जताई है कि अर्थव्यवस्था में तेज सुधार की उम्मीद कम है। उल्लेखनीय है कि सुधार की संभावना की वजह से ही हाल में शेयर बाजार में तेजी देखी गई। मई डिलिवरी के लिए अमेरिकी क्रूड 1.83 डॉलर घटकर 48.50 डॉलर प्रति बैरल हो गया था। वहीं जून डिलवरी के लिए लंदन ब्रेंट क्रूड 1.35 डॉलर गिरकर 52.00 डॉलर प्रति बैरल रहा। बाशे कमोडिटीज के एक ब्रोकर क्रिस्टोफर बेल्यू का कहना है, 'डॉलर के मजबूत होने से तेल कमजोर पड़ रहा है लेकिन यह अब भी 50-55 डॉलर प्रति बैरल के रेंज पर है। अब भी बाजार को कमजोर करने वाले कई बुनियादी कारण हैं, ऐसे में आगे बाजार की तेजी का जारी रहना काफी मुश्किल है।' उल्लेखनीय है कि डॉलर के मुकाबले यूरो एक महीने के सबसे निचले स्तर पर आ गया है। डॉलर में तेजी की वजह से कुछ निवेशक कमोडिटी और तेल में निवेश सीमित कर रहे हैं। सिंगापुर के इंफॉरमा ग्लोबल मार्केट्स की एक विश्लेषक मिशेल क्वेक का कहना है, 'अमेरिकी डॉलर के मजबूत होने से निवेशक हाथ पीछे खींच रहे हैं। अमेरिकी अधिकारियों के बयान से भी निवेशकों के अलग होने का जोखिम बढ़ सकता है।' गौरतलब है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था के प्रति सकारात्मक संकेत की वजह से पिछले हफ्ते के अंत में तेल की कीमतों में तेजी दर्ज की गई। हालांकि रविवार को ओबामा ने कहा था कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था अब भी दबाव में है और उनके वरिष्ठ आर्थिक सलाहकार पॉल वॉल्कर ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था के प्रति यह चिंता जताई थी कि इसे सुधरने में लंबा वक्त लग सकता है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा फंड ने भी इसी तरह का बयान दिया है। इसके प्रबंध निदेशक डोमिनिक स्ट्रॉस कान ने कहा कि एजेंसी आगामी हफ्ते में वैश्विक अर्थव्यवस्था को लेकर अपने अनुमानों में कटौती करेगी। (ET Hindi)

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