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27 अप्रैल 2009

मलेशिया के नए नियमों ने बढ़ाया मिर्च निर्यातकों का खर्च

नई दिल्ली- मलेशिया सरकार के नए नियमों ने मंदी के समय में देश के लाल मिर्च निर्यातकों के लागत खर्च को बढ़ा दिया है, जिससे उन्हें अपने करोड़ों का माल खराब होने का डर सताने लगा है। नए नियमों के मुताबिक मलेशिया सरकार ने आयातित लाल मिर्च को एक खास टेस्ट से गुजरना जरूरी बना दिया है। लाल मिर्च निर्यातकों के मुताबिक यदि लाल मिर्च में कीटनाशक का स्तर तय मानक से कम नहीं पाया जाता तो माल को नष्ट कर दिया जाएगा। भारतीय निर्यातकों का दावा है कि उन्हें इस नए नियम के बारे में पहले कोई जानकारी नहीं दी गई और एक बार जब उनका माल मलेशिया के 'पीनांग' और अन्य बंदरगाहों पर पहुंच गया, तो वहां के कस्टम विभाग ने सभी बंदरगाहों पर देश के करीबन 100 कंटेनर को ब्लॉक कर माल को नष्ट करने के लिए कहा। 'स्पाइस बोर्ड' के सदस्य और 'नागपुर विदर्भ चैंबर ऑफ कॉमर्स' के अध्यक्ष प्रकाश वाधवानी ने कहा, 'ट्रेड प्रोटोकॉल के मुताबिक कोई भी नया नियम लागू होने या उसमें संशोधन की स्थिति में मलेशिया और भारतीय अधिकारी, निर्यातकों को नियमों की जानकारी देते हैं और साथ ही नियम लागू करने की समय सीमा भी रखी जाती है, लेकिन इस मामले में ऐसा कुछ नहीं किया गया।' करोड़ों का माल बचाने के लिए देश के निर्यातकों ने वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के 'स्पाइस बोर्ड' से मदद की गुहार की जिसके बाद माल को नष्ट करने के बजाए उसे वापिस भेजा जा रहा है। स्पाइस बोर्ड के डायरेक्टर (मार्केटिंग) एस कानन ने ईटी को कहा, 'दूसरे देशों में पहले ऐसे नियम बने हुए हैं, लेकिन मलेशिया में नए नियम अब बने हैं इसलिए भारतीय निर्यातकों को इसकी जानकारी नहीं थी।' स्पाइस बोर्ड से मिले आंकड़ों के मुताबिक वित्त वर्ष 2008 से फरवरी 2009 तक 33,750 टन लगभग 2.16 अरब रुपए की मिर्च का निर्यात किया गया है। यह देश में उत्पादित होने वाली लाल मिर्च का करीबन 15 फीसदी है, जो निर्यात किया जाता है। इस 15 फीसदी निर्यात का 5-6 फीसदी केवल मलेशिया को जाता है। देश के लाल मिर्च निर्यातक मलेशिया सरकार के एक-पक्षीय फैसले से खासे परेशान है क्योंकि यह फैसला उन्हें बताए बिना अचानक लिए गया। प्रकाश वाधवानी ने कहा, 'लाल मिर्च जल्द खराब होने वाले उत्पादों में से एक है। पहले शिपिंग में 10 दिन, फिर बंदरगाह पर 25 दिन और वापिस लौटने में 15 दिन लगने से निर्यातकों के करोड़ों के माल के खराब होने की आशंका बनी हुई है।' वाधवानी ने कहा कि मंदी के समय में करोड़ों का माल खराब होने का डर, दुबारा माल मंगाने, माल का टेस्ट कराकर फिर दुबारा निर्यात करने में निर्यातकों का खर्च बढ़ जाएगा। इसका असर मिर्च निर्यात के वॉल्यूम और घरेलू बाजार में मिर्च के दामों पर भी पड़ेगा, क्योंकि नए ऑर्डर पूरे करने के लिए निर्यातक घरेलू बाजार से ही माल उठाएंगे। (ET Hindi)

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