कुल पेज दृश्य

27 अप्रैल 2009

स्टॉकिस्टों की मांग घटने से लालमिर्च 18 फीसदी सस्ती

स्टॉकिस्टों और निर्यातकों की मांग कमजोर पड़ने से चालू महीने में लालमिर्च की कीमतों में 18 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। गुंटूर में लाल मिर्च का स्टॉक भी 40 लाख बोरी (एक बोरी 45 किलो) से ज्यादा हो चुका है। जबकि तीसरी तुड़ाई की सप्लाई होने लगी है। पहली तुड़ाई के मुकाबले दूसरी और तीसरी तुड़ाई में हल्की क्वालिटी के माल की सप्लाई ज्यादा रहती है। जिसके कारण स्टॉकिस्टों की खरीद घट गई है। बांग्लादेश और श्रीलंका की मांग में भी पहले की तुलना में कमी आई है। इसके मौजूदा भावों में 150 से 200 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आ सकती है। हालांकि पैदावार में पिछले साल के मुकाबले लगभग 15 से 20 फीसदी की कमी आने की आशंका है। इससे गिरावट ज्यादा दिन टिकने की संभावना नहीं है।लालमिर्च के व्यापारी विनय बूबना ने बिजनेस भास्कर को बताया कि गुंटूर में लाल मिर्च का करीब 40 लाख बोरी का स्टॉक हो चुका है। जबकि मंडी में लालमिर्च की दैनिक आवक करीब 50 से 60 हजार बोरी की हो रही है। उन्होंने बताया कि अब चूंकि तीसरी तुड़ाई की सप्लाई हो रही है। तीसरी तुड़ाई में हल्की क्वालिटी के माल की ज्यादा सप्लाई होने से स्टॉकिस्टों की खरीद कम हो गई है। जिससे भाव में गिरावट को बल मिला है। स्टॉक ज्यादा होने के कारण भी खरीद में कमी आई है। गुंटूर में पिछले साल लालमिर्च का करीब 55 से 60 लाख बोरी का स्टॉक हुआ था। लेकिन चालू सीजन में स्टॉकिस्टों की अभी तक जोरदार खरीद रही है। उम्मीद है कि मई के प्रथम सप्ताह तक कोल्ड स्टोर पूरी तरह से भर जाएंगे।निर्यातकों के साथ ही स्टॉकिस्टों की मांग घटने से चालू माह में लालमिर्च के भावों में करीब 1,000 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आ चुकी है। इस दौरान तेजा क्वालिटी की लालमिर्च के भाव घटकर 5200 रुपये, ब्याड़गी क्वालिटी के भाव 5800 रुपये, 334 क्वालिटी के भाव घटकर 4500 रुपये तथा सनम क्वालिटी के भाव घटकर 4700 रुपये और फटकी क्वालिटी के भाव 1700 से 2500 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं। मुंबई स्थित लालमिर्च के निर्यातक अशोक दत्तानी ने बताया कि इस समय बांग्लादेश की मांग काफी कमजोर पड़ गई है। जबकि श्रीलंका की मांग भी पहले की तुलना में घटी है। भारतीय मसाला बोर्ड के सूत्रों के अनुसार वित्त वर्ष 2008-09 के अप्रैल से फरवरी तक देश से लालमिर्च का निर्यात घटकर 166,000 टन रह गया जबकि इसके पिछले साल की समान अवधि में इसका निर्यात 176,255 टन रहा था। चालू वर्ष के फरवरी महीने में निर्यात मात्र 10,000 टन का ही हुआ है जबकि पिछले वर्ष फरवरी में निर्यात 15,325 टन का हुआ था। अत: फरवरी महीने में निर्यात में काफी गिरावट आई है।गुंटूर मंडी के लालमिर्च व्यापारी मांगीलाल मुंदड़ा ने बताया कि चालू वर्ष में अभी तक मौसम फसल के अनुकूल रहा है लेकिन किसानों ने लालमिर्च के बजाय कॉटन की बुवाई को प्राथमिकता दी। जिससे लालमिर्च के बुवाई क्षेत्रफल में 15 से 20 फीसदी की कमी आई है। पिछले वर्ष आंध्र प्रदेश में लालमिर्च का कुल उत्पादन 150 लाख बोरी का हुआ था लेकिन बुवाई रकबा घटने से चालू सीजन में उत्पादन घटकर 130 से 135 लाख बोरी ही होने की संभावना है। (Business Bhaskar...R S Rana)

कोई टिप्पणी नहीं: