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27 मार्च 2009

घट सकता है राइस ब्रान तेल का उत्पादन

देश में धान की पैदावार बढ़ने के बावजूद इस साल राइस ब्रान तेल का उत्पादन कम होने का अनुमान है। उद्योग सूत्रों का अनुमान है कि इस साल उत्पादन में 10 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है। वर्ष 2008 में राइस ब्रान तेल का उत्पादन 8 लाख टन का हुआ था। धान की भूसी से राइस ब्रान तेल बनाया जाता है। 2008-09 के खरीफ में धान की पैदावार 850 लाख टन हुआ है। जो साल 2007-08 की खरीफ में 826 लाख टन थी। ए. पी. सॉल्वेंट के चेयरमैन ए. आर. शर्मा ने बिजनेस भास्कर को बताया कि घरेलू बाजार में राइस ब्रान तेल की मांग में आई हल्की कमी और उत्तरी राज्यों में धान की मिलिंग में कमी के चलते इस साल राइस ब्रान तेल के उत्पादन में कमी हो सकती है। सामान्य रुप से राइस ब्रान तेल के लिए धान की पेराई दिसंबर-अप्रैल तक चलती है। जबकि इस साल अभी तक केवल 60 फीसदी धान की ही मिलिंग हुई है। पंजाब में तो यह और भी कम हुई है। इसका कारण बताते हुए शर्मा ने कहा किदेश भर के गोदाम अनाजों से भरे है। सरकार के पास चावल रखने की जगह ही नहीं है। यह समस्या पंजाब में सबसे ज्यादा है। जिसके चलते धान की मिलिंग नहीं हो पा रही है। साथ ही पंजाब में पहली बार है कि सर्दियो के सीजन में बिजली की कटौती हुई है। जिससे भी राइस ब्रान तेल का उत्पादन प्रभावित हुआ है। केवल पंजाब में 40 फीसदी धान मिलिंग के बगैर रखी हुई है। इसके अलावा पॉम तेल के सस्ता होने से लोग राइस ब्रांन के स्थान पर इसका प्रयोग कर रहे है। जिससे इसकी मांग में हल्की कमी आई है। सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक सेतिया ने बताया कि इस साल धान की मिलिंग के दिसंबर तक चलने की संभावना है। जो सामान्य रुप से दिसंबर-अप्रैल तक ही चलती थी। यदि ऐसा होता है तो राइस ब्रान तेल के उत्पादन में बढ़ोतरी हो सकती है। उत्पादन में कमी का असर इसके दामों पर भी देखने को मिल रहा है। पिछले एक महीने में रिफाइंड राइस ब्रान तेल के दाम 12 फीसदी तक बढ़ गये है। इस साल फरवरी के अंत में इसके दाम 41 रुपये प्रति किलो थे, जो अभी बढ़कर 46 रुपये प्रति किलो हो गये है। (Business Bhaskar)

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