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26 मार्च 2009

उत्तर भारत के राज्यों में मौसम ने बढ़ाई किसानों की चिंता

उत्तर भारत में मौसम की आंखमिचौली ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है। पकाई के समय फसलों को धूप की आवश्कता होती है लेकिन पिछले आठ-दस दिनों में दो-तीन बार आंधी के साथ-साथ बारिश और ओले गिरने से रबी फसलों को नुकसान होने की आशंका बढ़ गई है। इस समय उत्तर भारत के अधिकांश राज्यों में जहां चना, सरसों और जौ की कटाई का कार्य जोर-शोर से चल रहा है वहीं कई जिलों में गेहूं की भी अगेती फसल की कटाई प्रारंभ हो चुकी है। उत्तर भारत के कई जिलों में आंधी के साथ-साथ बारिश होने से खलिहानों में पड़ी चना, सरसों और जौ की फसल को आंशिक नुकसान के समाचार हैं। पंजाब में कीनू और हरियाणा में आम की फसल को ज्यादा नुकसान हुआ है।नई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के कृषि वैज्ञानिक डॉ. आर के राय ने बिजनेस भास्कर को बताया कि पकाई के समय फसलों को धूप की आवश्यकता होती है लेकिन पश्चिमी विक्षोभ के कारण पिछले आठ-दस दिनों से मौसम खराब चल रहा है। बारिश होने और ओले गिरने से मौसम में नमी की मात्रा बढ़ जाती है जिससे फसलों में रोग लगाने की संभावना अधिक रहती है। उन्होंने कहा कि अभी तक गेहूं की फसल को तो नुकसान के समाचार नहीं है लेकिन अगर मौसम जल्दी ही साफ नहीं हुआ तो फिर नुकसान होने की संभावना बढ़ जायेगी। कृषि वैज्ञानिक डॉ. अनिल गुप्ता ने बताया कि इस समय उत्तर भारत के राज्यों राजस्थान, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में चना, सरसों और जौ की कटाई का कार्य जोरों पर है। जिन क्षेत्रों में फसल की कटाई हो चुकी है तथा जहां फसल खलीहानों में पड़ी है वहां आंधी के साथ-साथ बारिश होने से फसल की क्वालिटी प्रभावित होने की आशंका बढ़ गई है। हालांकि पंजाब, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और हरियाणा के कई जिलों में गेहूं की फसल पकने में अभी समय है। पंजाब खेतीबाड़ी विभाग के संयुक्त निदेशक एच.एस भट्टी के मुताबिक गेहूं बिछने से बालियां काली पड़ने की संभावना बढ़ जाती है। पंजाब में कृषि विभाग के सूत्रों के अनुसार अमृतसर और तरनतारन तथा अन्य जिलों में बारिश और आंधी से करीब 42,000 हेक्टेयर में गेहूं की फसल पड़ गई है। वहीं बागबानी विभाग के निदेशक डॉ. बलदेव सिंह के मुताबिक कीनू की फसल पर इसका आंशिक असर पड़ा है राज्य में करीब 78,000 हेक्टेयर भूमि पर कीनू की फसल लगी हुई है। गेहूं अनुसंधान निदेशालय करनाल के परियोजना निदेशक डा. जग शोरन ने बताया कि अभी तक हुई वर्षा से अगेती फसल को कहीं नुकसान होने के समाचार नहीं मिले हैं तथा उक्त वर्षा से पछेती फसल को फायदा ही हुआ है। हरियाणा में करीब 80 फीसदी क्षेत्रफल में गेहूं की अगेती बुवाई की गई है। हालांकि उनका मानना है कि अगर बारिश के साथ ओले गिरते हैं तो फिर बालियां टूटने से नुकसान की आशंका बन सकती है। राज्य के उघान विभाग के डा. सतवीर सिंह ने बताया कि आंधी चलने से आम के बौर झड़ने से आम की फसल को लगभग ख्क्-ख्म् फीसदी का नुकसान होने की आशंका है। इसके साथ ही आम में फंगस व बीमारी होने की संभावना बढ़ गई है। (Business Bhaskar....R S Rana)

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