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28 फ़रवरी 2009

उत्पादक क्षेत्रों में बारिश न होने से बोल्ड क्वालिटी इलायची की कमी

इलायची के प्रमुख उत्पादक क्षेत्रों में पिछले डेढ़ महीने से वर्षा नहीं हुई है। इसलिए बोल्ड क्वालिटी (आठ एमएम) के माल कम आने से भावों में तेजी की आने लगी है। इस समय इलायची की पांचवीं तुड़ाई चल रही है तथा बोल्ड क्वालिटी की आवक मात्र 10 से 15 फीसदी की ही हो रही है। जबकि निर्यातकों की मांग अच्छी बनी हुई है। भारत से बोल्ड क्वालिटी की इलायची का निर्यात ज्यादा होता है। ऐसे में अगर आगामी आठ-दस दिनों में वर्षा नहीं होती है तो इलायची के भावों में मजबूती आ सकती है। केरल की कुमली मंडी के इलायची व्यापारी अरुण अग्रवाल ने बिजनेस भास्कर को बताया कि उत्पादक क्षेत्रों में पिछले डेढ़ महीने से वर्षा नहीं हुई है जिसकी वजह से बोल्ड क्वालिटी के मालों की आवक घटकर 10 से 15 फीसदी ही रह गई है। बोल्ड क्वालिटी में निर्यातकों की मांग अच्छी बनी हुई है इसलिए अगर अगले आठ-दस दिन फसल के लिए लिहाज से काफी महत्वपूर्ण होंगे। इस दौरान अगर वर्षा नहीं होती है फिर इलायची के मौजूदा भावों में तेजी बन सकती है।उत्पादक मंडी में इलायची के भाव 6.5 एमएम के 590 से 600 रुपये, 7 एमएम के 615 से 620 रुपये, 7.5 एमएम के 640 से 650 रुपये और 8 एमएम के भाव 675 से 680 रुपये प्रति किलो चल रहे हैं। अगर वर्षा नहीं होती है तो फिर छठी तुड़ाई में इलायची की आवक तो कम रहेगी ही साथ ही बोल्ड क्वालिटी की आवक न के बराबर होगी। उत्पादक क्षेत्रों में सामान्य वर्षा होती रहे तो इलायची की सात से आठ तुड़ाई तक हो जाती हैं।मुंबई स्थित इलायची के निर्यातक मूलचंद रुबारल ने बताया कि निर्यातकों की मांग बराबर बनी हुई है। भारतीय इलायची के भाव अंतरराष्ट्रीय बाजार में ग्यारह से साढ़े पंद्रह डॉलर प्रति किलो क्वालिटी के अनुसार चल रहे हैं। उधर ग्वाटेमाला की इलायची के भाव ग्यारह से तेरह डॉलर प्रति किलो क्वालिटी के अनुसार बोले जा रहे हैं। भारतीय इलायची की क्वाल्टिी ग्वाटेमाला से अच्छी होने के कारण भारत से मांग बराबर बनी हुई है। ग्वाटेमाला के मुकाबले भारतीय इलायची का भाव अंतरराष्ट्रीय बाजार में लगभग ढ़ाई से तीन डॉलर प्रति किलो तेज रहता है। उन्होंने बताया कि चालू फसल सीजन में देश में इलायची का उत्पादन 12,000 टन होने की संभावना है जोकि पिछले वर्ष से ज्यादा है। पिछले वर्ष प्रतिकूल मौसम से देश में इलायची का उत्पादन घटकर 9भ्त्तक् टन का ही हुआ था। उधर ग्वाटेमाला में इलायची का उत्पादन पिछले वर्ष के 22,000 टन के मुकाबले घटकर 18,000 से 19,000 टन ही होने की आशंका है। प्रतिकूल मौसम से वहां उत्पादन में गिरावट आई है।भारतीय मसाला बोर्ड के सूत्रों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से जनवरी तक देश से इलायची का निर्यात बढ़कर 475 टन का हो चुका है। पिछले वर्ष की समान अवधि में इसका निर्यात 400 टन का ही हुआ था। (Business Bhaskar...R S Rana)

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