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21 फ़रवरी 2009

ऊंझा मंडी में जीरे की आवक बढ़कर 15 हजार बोरी (एक बोरी 40 किलो) की हो गई है। लेकिन निर्यातकों के साथ-साथ घरेलू मांग अच्छी होने से बेहतर क्वालिटी के जीर

पिछले छह महीनों के दौरान नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) में एग्री कमोडिटी की डिलीवरी में डिफाल्टरों पर एक समान तीन फीसदी जुर्माना लागू करने के बाद वायदा व्यापार आयोग ने मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज से भी यही जुर्माना नीति अपनाने का निर्देश दिया है। आयोग के अध्यक्ष बी. सी. खटुआ के अनुसार पहले विभिन्न एग्री कमोडिटी एक्सचेंज पर डिलीवरी डिफाल्ट पर अलग-अलग जुर्माना लागू होता था। एनसीडीईएक्स में समान जुर्माना नीति सफल होने के बाद अब हम एमसीएक्स में इसे लागू करने की कोशिश कर रहे हैं। संशोधित जुर्माना मुख्य रूप से एग्री कमोडिटी के अनिवार्य डिलीवरी कांट्रेक्ट पर लागू होगा। आयोग के अनुसार अहमदाबाद के नेशनल मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (एनएमसीई) में नई जुर्माना नीति लागू नहीं होगी। आयोग द्वारा जारी किए गए सकरुलर के अनुसार एमसीएक्स ने 11 फरवरी से नई जुर्माना नीति लागू कर दी है। इस तारीख के बाद एग्री कमोडिटी के अनिवार्य डिलीवरी वाले कांट्रेक्ट में डिफाल्ट होने पर नई जुर्माना दर लागू होगी। इस समय एमसीएक्स में आलू, कॉफी, चीनी और रबर समेत 15 एग्री कमोडिटी में ट्रेडिंग होती है जिनमें अनिवार्य डिलीवरी का विकल्प है। एग्री कमोडिटी में बिक्रेता कारोबारी को डिलीवरी डिफाल्ट होने पर कांट्रेक्ट वैल्यू की तीन फीसदी राशि जुर्माना के तौर पर चुकानी होगी। पहले ढाई फीसदी जुर्माना देय होता था। डिफॉल्टर को इस जुर्माने के अलावा निपटान मूल्य और कांट्रेक्ट तारीख समाप्त होने से पहले के पांच दिनों के दौरान उच्च मूल्य स्तर के औसत भाव के बीच का अंतर भी भरना होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि एक्सचेंजों में ज्यादा जुर्माना लागू होने पर कारोबारी डिलीवरी डिफाल्टर होने से बचेंगे और डिलीवरी प्रणाली सुचारू रहेगी। आयोग के अनुसार तीन फीसदी जुर्माना में से 1.75 फीसदी राशि संबंधित एक्सचेंज के निवेशक सुरक्षा फंड में जाएगी। (Business Bhaskar)

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