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23 जनवरी 2009

एनबॉट के खिलाफ शिकायतों की जांच कर रहा है एफएमसी

नई दिल्ली : कमोडिटी बाजार नियामक फॉरवर्ड मार्केट कमीशन (एफएमसी) ने गुरुवार को कहा कि इंदौर के क्षेत्रीय कमोडिटी एक्सचेंज एनबॉट के डीम्यूचुअलाइजेशन में कथित अनियमितताओं की जांच के लिए उसने एक समिति बना दी है। एफएमसी अध्यक्ष बी सी खटुआ ने कहा, 'नेशनल बोर्ड ऑफ ट्रेड (एनबीओटी) के खिलाफ इंदौर के सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) की शिकायत की जांच के लिए एक समिति बनाई गई है। सोपा ने डीम्यूचुअलाइजेशन प्रक्रिया में अनियमितताओं की शिकायत की थी।' डीम्यूचुअलाइजेशन ऐसी प्रक्रिया होती है, जिसके तहत किसी एक्सचेंज के स्वामित्व, प्रबंधन और कारोबार को अलग-अलग कर दिया जाता है। डीम्यूचुअलाइज्ड एक्सचेंज में स्वामित्व आमतौर पर संस्थागत निवेशकों के हाथ में चला जाता है जबकि प्रबंधन का जिम्मा पेशेवर लोगों के पास रहता है। खटुआ ने बताया कि सोपा की शिकायत की जांच कर रही समिति की रिपोर्ट जल्दी ही मिल जाएगी। उन्होंने कहा कि सोपा और एनबॉट के बीच 2003 से ही विवाद चल रहा है। 2003 में एनबॉट ने एक्सचेंज को डीम्यूचअलाइज कर दिया था। खटुआ ने कहा, 'हमें डीम्यूचुअलाइजेशन के पीछे एनबॉट की मंशा की जांच करनी होगी और पता लगाना होगा कि ऐसा फॉरवर्ड कॉन्ट्रैक्ट्स (रेगुलेशन) एक्ट, 1952 तथा कंपनी कानून के अनुसार किया गया या नहीं।' उन्होंने कहा कि एनबॉट को डीम्यूचुअलाइज करते समय सरकार या एफएमसी की ओर से इस प्रक्रिया को लेकर कोई दिशानिर्देश नहीं दिए गए थे। एफएमसी से की गई शिकायत में सोपा ने कहा है कि डीम्यूचुअलाइजेशन के दौरान 'बोर्ड ने सात कंपनियों को बाजार भाव/बुक वैल्यू से काफी कम स्तर पर उन सात कंपनियों को 100 फीसदी शेयरों का आवंटन कर दिया, जिनका संचालन एनबॉट के अध्यक्ष या उनके सहयोगी करते हैं।' सोपा ने एनबॉट बोर्ड को भंग किए जाने की भी मांग की है। उसने एफएमसी से अनुरोध किया है कि नए निदेशकों का नामांकन किया जाए, जिनमें नियामक की ओर से एक ऐसा व्यक्ति हो जो एनबीओटी के बोर्ड में पहले न रहा हो। उद्योग जगत के एक अधिकारी ने बताया कि 1999 में सोपा ने ही एनबीओटी का गठन किया था। सोया तेल और सोयाबीन के कारोबार में इस क्षेत्रीय एक्सचेंज का बहुत तगड़ा दखल है। (ET Hindi)

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