कुल पेज दृश्य

29 दिसंबर 2008

सरसों का उत्पादन बढ़ने के आसार

ये आकलन वायदा कारोबारियों की कुछ मदद कर सकता है। इस साल सरसों के बुवाई रकबा में बढ़ोतरी हुई है। साथ ही अब तक मौसम भी फसल का साथ दे रहा है। इससे उत्पादन बढ़ने की उम्मीद की जा रही है। यही नहीं पाम तेल की गिरावट का भी असर रहने की उम्मीद है। छह माह पूर्व तमाम जिंसों के साथ सरसों वायदा में जोरदार तेजी का दौर रहा था।क्या है हाल अभी तक लगभग उत्पादक राज्यों में मौसम भी फसल के अनुकूल ही रहा है। उधर उत्तर प्रदेश में लहिया और पंजाब व हरियाणा में तोरियों की नई फसल की आवक शुरू हो चुकी है। फरवरी में लगभग सभी उत्पादक राज्यों में नई सरसों की आवक भी शुरू हो जाएगी। वैसे भी चालू वर्ष में विदेशों से खाद्य तेलों के आयात में 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। यही नहीं हाजिर बाजार में पैसे की कमी है। ऐसे में आगामी दिनों में सरसों और सरसों तेल के मौजूदा भावों में गिरावट ही आने की आशंका है।बुवाई क्षेत्रफल बढ़ाकृषि मंत्रालय के मुताबिक चालू रबी सीजन में सरसों की बुवाई 63.98 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में हुई है। पिछले वर्ष की समान अवधि में इसकी बुवाई 57.15 लाख हेक्टेयर में ही हुई थी। इस तरह बुवाई क्षेत्रफल में 6.83 लाख हेक्टेयर की बढ़ोतरी हुई है। बढ़ सकता है उत्पादन केंद्र द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक साल 2007-08 में देश में सरसों का उत्पादन 58 लाख टन का हुआ था। साल 2008-09 के लिए सरकार ने सरसों के उत्पादन का लक्ष्य 76.69 लाख टन का रखा है। हालांकि तेल-तिलहन उद्योग से जुड़े संगठनों का उत्पादन अनुमान भिन्न है। दिल्ली वैजिटेबल ऑयल ट्रेडर्स एसोसिएशन के सचिव हेंमत गुप्ता ने बताया कि चालू वर्ष में बुवाई क्षेत्रफल में बढ़ोतरी और पिछले दिनों राजस्थान व उत्तर प्रदेश के कुछेक क्षेत्रों में हुई बारिश को देखते हुए चालू सीजन में देश में सरसों का उत्पादन 60 से 62 लाख टन होने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि गत वर्ष देश में सरसों का उत्पादन 50 लाख टन का हुआ था। जबकि नई फसल के समय बकाया स्टॉक पांच लाख टन का था।स्टॉक और मांगअलवर व्यापार मंडल के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने बताया कि उत्पादक मंडियों में सरसों का स्टॉक मात्र ढ़ाई से तीन लाख टन का ही बचा हुआ है। जबकि नई फसल की आवक बनने में अभी करीब डेढ़ माह का समय शेष है। उनके मुताबिक पांच से छह लाख टन सरसों की खपत प्रति माह होती है। ऐसे में स्टॉक तो मांग के हिसाब से काफी कम है। लेकिन उत्तर प्रदेश में लहिया और पंजाब व हरियाणा की मंडियों में तोरिया की अच्छी आवक हो रही है। इसलिए सरसों की मांग में पिछले आठ-दस दिनों से काफी कमी आई है। मांग में कमी आने से जहां सरसों के भावों में 150 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट आई है वहीं सरसों तेल में 300 रुपए प्रति क्विंटल का मंदा आया है। अलवर मंडी में सरसों के भाव 2900 से 2925 रुपए प्रति क्विंटल रह गए। 15 फरवरी के बाद उत्पादक राज्यों में नई सरसों की आवक शुरू हो जाएगी। अत: सरसों के भावों में और भी गिरावट की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।खाद्य तेलों का आयात बढ़ासालवेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया के मुताबिक नवंबर से अक्टूबर 2007-08 में देश में खाद्य तेलों का आयात बढ़कर 56.08 लाख टन का हुआ है। पिछले वर्ष के मुकाबले इसमें 30 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। पिछले वर्ष खाद्य तेलों का कुल आयात 47.14 लाख टन का हुआ था। बंगाल-बिहार में मांग कमजोरलारेंस रोड स्थित अशोका ट्रेडर्स के अशोक कुमार ने बताया कि दिल्ली बाजार में सरसों की आवक मात्र एक-दो मोटरों की हो रही है। जबकि उत्तर प्रदेश से लहिया की आवक आठ से दस मोटरों की हो रही है। उन्होंने बताया कि आयातित खाद्य तेलों के भावों में चल रही भारी गिरावट के कारण सरसों तेल में मांग कमजोर है। दिल्ली बाजार में पिछले आठ-दस दिनों में सरसों के भावों में 150 रुपए की गिरावट आकर भाव 3000 रुपए और सरसों तेल के भावों में 300 रुपए की गिरावट आकर भाव 6400 रुपए प्रति क्विंटल रह गए। लहिया के भाव यहां घटकर 2800 से 2850 रुपए प्रति क्विंटल रह गए हैं। उन्होंने बताया कि बाजार में धन की तंगी होने के कारण नई सरसों की आवक बनने के बाद स्टॉकिस्टों की खरीद कमजोर ही रहने की संभावना है। (Business Bhaskar....R S Rana)

कोई टिप्पणी नहीं: