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23 दिसंबर 2008

मौजूदा बारिश सरसों की पैदावार के लिए फायदेमंद

राजस्थान और उत्तर प्रदेश के सरसों उत्पादक इलाकों में मौजूदा बादल और बारिश का मौसम (मावठ) पैदावार के लिहाज से काफी फायदेमंद माना जा रहा है। इस साल राजस्थान में सरसों का बुवाई रकबा भी करीब 14 फीसदी बढ़ गया है। पिछले दिनों इन राज्यों के कई इलाकों में मावठ का मौसम बना हुआ है। कृषि अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार सरसों की फसल के लिए सवा महीने का मौजूदा दौर बहुत महत्वपूर्ण होगा। इस दौरान मौसम ने साथ दिया तो सरसों की बंपर पैदावार हो सकती है।राजस्थान कृषि निदेशालय के उप निदेशक कृषि सूचना अतर सिंह मीणा ने अनुसार राज्य में इस साल 27.15 लाख हैक्टेयर में सरसों की बुवाई की गई है। इस तरह सरसों का रकबा पिछले वर्ष के मुकाबले 14 फीसदी बढ़ गया है। राज्यभर में सरसों के पौधों की बढ़बार अच्छी होने के साथ फूल निकल आए हैं। लेकिन अब सवा महीने का समय सरसों की फसल के लिए महत्वपूर्ण होगा क्योंकि इस दौरान अगर मौसम अनूकल नहीं रहा तो फसल में रोग लग सकता है। भरतपुर स्थित राष्ट्रीय सरसों अनुसंधान केंद्र के शोधकर्ता अशोक कुमार शर्मा ने बताया अक्टूबर-नवंबर में तापमान ज्यादा होने से बुवाई में विलंब के कारण शुरूआत में रकबा बढ़ने पर थोड़ा अंदेशा था लेकिन नवंबर के अंत में तेजी से बुवाई हुई और अब तक मौसम अनुकूल रहने से सरसों की पैदावार बढ़ने की संभावना है। हालांकि दिसंबर के आखिरी सप्ताह से जनवरी तक का समय किसानों के लिए महत्वपूर्ण होगा। यह फसल पकने का समय होने से इस दौरान कोहरा और पाला फसल को नुकसान पहुंचा सकते हैं। अगर तापमान ज्यादा रहता है तो भी फसल में रोग लग सकता है। इसलिए किसानों को फसल की लगातार निगरानी करने की जरूरत है। खासतौर पर किसान पौधे के नीचे के पत्तों को देखते रहे तथा रोग के लक्षण नजर आने पर तुरंत कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करें।भरतपुर के सरसों कारोबारी पूरणमल अग्रवाल का कहना है कि व्यापारी भी बेहतर फसल को लेकर आशान्वित है। हालांकि मौसम खराब होने के कारण आवक घटने से सरसों में कुछ दिन तेजी देखने को मिल सकती है। जयपुर के थोक व्यापारी अनिल चतर के अनुसार इस समय मंडियों में माल की शॉर्टेज है। इससें सरसों के भाव जयपुर मंडी में बढ़कर 3110 से 3115 रुपए क्विंटल हो गए। अब देश में सरसों का स्टॉक तीन-चार लाख टन होने के अनुमान को देखते हुए अगले वर्ष कैरी फॉरवर्ड स्टॉक न बचने का अनुमान है। राज्य में नई सरसों फरवरी के दूसर पखवाड़े में आने की संभावना के चलते अब एक महीने सरसों के भाव मौसम पर निर्भर करेंगे। मौसम खराब होने पर सरसों में तेजी और मौसम साफ रहने पर मंदी का संभव है। (Business Bhaskar)

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