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28 दिसंबर 2008

कीमतों में बढ़ोतरी से प्याली में तूफान

कोलकाता December 26, 2008
मौजूदा चलन को पीछे छोड़ते हुए 2009 सीजन में चाय का सौदा पिछले साल के औसत मूल्य से 20-30 रुपये प्रति किलो अधिक पर खुल सकता है।
चाय उत्पादन में रिकॉर्ड कमी के कारण कीमतों में बढ़ोतरी का अनुमान लगाया जा रहा है। उद्योग प्रतिनिधियों का अनुमान है कि असम चाय की अच्छी गुणवत्ता की कीमत इस साल जहां 105 से 120 रुपये प्रति किलो रही, वहीं नये सीजन में यह 125 से 140 रुपये के बीच खुलने की संभावना है। कीमतों में यह मजबूती 3 से 4 क्विंटल चाय की कमी के कारण आएगी। 2008 के लिए इंडियन टी एसोसिएशन (आईटीए) के हालिया अनुमानों के अनुसार, चाय का उत्पादन 96.2 करोड़ किलोग्राम, निर्यात 20 करोड़ किलोग्राम, आयात 2 करोड़ किलोग्राम और खपत 82.5 करोड़ किलोग्राम रहने का अनुमान है। साफ है कि 4.3 करोड़ किलोग्राम चाय की कमी होगी। आईटीए के अध्यक्ष आदित्य खेतान ने कहा कि निर्यात अधिक होने के कारण चाय की कमी हुई है। पिछले साल 17.9 करोड़ किलोग्राम चाय का निर्यात हुआ था। लेकिन दूसरे बाजारों से अलग भारतीय चाय उद्योग को भारी घरेलू मांग का सहारा हासिल है। इस उद्योग की विकास दर 3 से 3.3 प्रतिशत की है। उन्होंने कहा, 'अफ्रीकी मुद्दे को अतिरिक्त लाभ के तौर पर देखा जाना चाहिए।'सीटीसी के प्रमुख उत्पादक केन्या में चाय का उत्पादन 3.5 करोड़ किलोग्राम कम हुआ, जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में होने वाली आपूर्ति पर प्रभाव पड़ा है। सितंबर अंत तक चाय का वैश्विक उत्पादन 63 लाख किलोग्राम की मामूली कमी आई थी।जहां केन्या में उत्पादन 3.5 करोड़ किलोग्राम कम हुआ, वहीं भारत और श्रीलंका को मिलाकर 4.60 करोड़ किलोग्राम कम उत्पादन हुआ। लेकिन सभी अफ्रीकी देशों के उत्पादन में कमी आई है।पिछले कुछ महीनों में भारतीय चाय की कीमतों में बढ़ोतरी हुई, लेकिन अगर महंगाई वृध्दि दर को शामिल कर देखें तो यह 1998 के चरम स्तर से कम ही है। अगर खाद्य पदार्थों की महंगाई दर को समायोजित करें तो कीमत 143.47 रुपये प्रति किलोग्राम होनी चाहिए। इसके विपरीत, उत्पादन लागत में प्रति किलोग्राम 33.41 रुपये प्रति किलो की बढ़ोतरी हुई, जो लगभग 60 प्रतिशत अधिक है।आईटीए के अनुसार, उद्योग के विकास के लिए वर्तमान कीमतों का चलन अगले कुछ सालों तक जारी रहना चाहिए। 2006 के मुकाबले 2007 के दौरान भारतीय चाय उद्योग को कम उत्पादन के साथ-साथ कम निर्यात का भी सामना करना पड़ा था। 2006 में चाय की रिकॉर्ड फसल के साथ-साथ निर्यात भी बढ़िया हुआ था। 1999 से मंदी से जूझ रहे चाय उद्योग को साल 2007 में थोड़ी राहत मिली थी। 2007 के उत्साहजनक संकेतों के साथ साल 2008 की शुरुआत हुई। ऐसा संभव है कि साल 2008 का अंत अभूतपूर्व कमी के साथ हों और मार्च के अंत या अप्रैल की शुरुआत में चाय रिकॉर्ड कीमतों के साथ खुले। (BS Hindi)

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