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19 नवंबर 2008

एसएमपी से ज्यादा कीमत देने को राजी नहीं चीनी मिलें

मुंबई : महाराष्ट्र की चीनी मिलें सरकार की गन्ने के लिए तय वैधानिक न्यूनतम कीमत (एसएमपी) से ज्यादा कीमत किसानों को देने को राजी दिखाई नहीं दे रही हैं। चीनी मिलें पश्चिमी महाराष्ट्र और मराठवाड़ा के किसानों के गन्ने की ऊंची कीमत देने के लिए किए जा रहे विरोध को भी नजरअंदाज कर रही हैं। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर ईटी को बताया कि किसानों की ज्यादा कीमत देने की मांग को राजनीतिक पार्टियों का समर्थन हासिल होने के बावजूद भी मिल मालिक इस पर ज्यादा गौर नहीं कर रहे हैं। चीनी मिलों ने सरकार की तय कीमत से ज्यादा न दाम न देने के बारे में वित्तीय दिक्कतों के अलावा पिछले तीन सीजन में गन्ने की खराब क्वालिटी को भी वजह बताया है। सूत्रों के मुताबिक, 95 फीसदी से ज्यादा चीनी मिलें सरकार के तय भाव से ज्यादा कीमत देने को राजी नहीं हैं। केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने इस सीजन के लिए गन्ने के लिए एसएमपी 811 रुपए प्रति टन तय की है। इस कीमत में नौ फीसदी की रिकवरी दर (गन्ने से चीनी उत्पादन की फीसदी दर) को मान कर चला गया है। इसके अलावा प्रति एक फीसदी की अतिरिक्त रिकवरी दर पर प्रति टन 90 रुपए अलग से देने का भी प्रावधान इस एक्ट में किया गया है। शुगर कंट्रोल एक्ट के मुताबिक, एसएमपी के बराबर कीमत देना मिलों के लिए अनिवार्य है। इससे ज्यादा कीमत देने का फैसला मिलों पर उनकी वित्तीय स्थिति, मुनाफे, कर्ज जैसी स्थितियों की वजह से छोड़ दिया गया है। राजनीतिक पार्टियां और किसान इस सीजन के लिए 1,800 रुपए प्रति टन की कीमत की मांग कर रहे हैं। सरकारी अधिकारी के मुताबिक, 'यह असंभव है। सबसे बढ़िया मिलें ही यह कीमत दे सकती हैं। इन मिलों की संख्या बमुश्किल आधा दर्जन है। यहां तक कि 12 फीसदी के औसत रिकवरी रेट पर 1,080 रुपए प्रति टन की कीमत दे पाना भी कई फैक्ट्रियों के लिए काफी कठिन होगा।' किसानों के विरोध का गन्ने की पेराई पर कोई ज्यादा असर नहीं पड़ा है। 135 से 140 चीनी मिलों में से तकरीबन 75 में गन्ने की पेराई शुरू हो चुकी है। इनमें से ज्यादातर मिलें कोऑपरेटिव सेक्टर की हैं। अधिकारी के मुताबिक, बकाया मिलों में गन्ने की सप्लाई के तेज होते ही पेराई शुरू होने की उम्मीद है। सरकारी अधिकारी के मुताबिक, 'गन्ने के उत्पादन में इस बार 25 से 30 फीसदी की कमी दर्ज की गई है। इस वजह से करीब 60 मिलों में पेराई का काम अभी तक शुरू नहीं हो सका है।' महाराष्ट्र में 450 से 500 लाख टन गन्ने के उत्पादन की उम्मीद है। 2007-08 के सीजन में राज्य में 761 लाख टन गन्ने का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ था। (ET Hindi)

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