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19 नवंबर 2008

मंदी की आंच से प्लास्टिक बाजार भी लगा पिघलने

नई दिल्ली November 18, 2008
देश के सबसे बड़े सदर बाजार का प्लास्टिक बाजार भी पिघल चुका है। तेजी के दौरान 'टाइट' प्लास्टिक मंदी में 'मोल्ड' हो चुका है।
कारोबार ने 'यू टर्न' ले लिया है। कीमत कारोबारी नहीं बल्कि ग्राहक तय कर रहे हैं। दूसरे राज्यों के छोटे प्लास्टिक व्यापारियों ने पुराने ऑर्डर की डिलिवरी लेने से साफ इनकार कर दिया है। इस कारण थोक व्यापारियों के लाखों रुपये फंस गए हैं और उनके पास माल का स्टॉक भी काफी अधिक हो गया है। अब उन्हें कच्चे तेल की कीमत में बढ़ोतरी का इंतजार है। सदर बाजार, नबी करीम एवं बहादुरगढ़ रोड वाले इलाके में प्लास्टिक के 3500 कारोबारी हैं और यहां पॉली कार्बोनेट (पीसी), पॉली प्रॉपलीन (पीपी), पॉली वेनाइल कार्बोनेट (पीवीसी), पीवीसी शीट्स और पॉलीमर जैसे प्लास्टिक का रोजाना लगभग 20 करोड़ रुपये का कारोबार होता है। लेकिन मंदी से इस कारोबार में 25 फीसदी तक की गिरावट हो चुकी है। आगे इसमें और गिरावट की आशंका है। प्लास्टिक ट्रेडर्स एसोसिएशन के पदाधिकारी सीएम कपूर कहते हैं, 'नगदी की कमी के साथ मंदी की विश्वव्यापी हवा ने भी कारोबार का रुख मोड़ दिया।प्लास्टिक के दाम में 50 फीसदी से अधिक की कमी हो चुकी है।' उन्होंने बताया कि पीवीसी शीट्स का कारोबार क्रेडिट कार्ड एवं डेविट कार्ड के निर्माण में आयी कमी के कारण भी गिरा है। इन दिनों कई निजी बैंकों ने नया क्रेडिट कार्ड जारी करना बंद कर दिया है।व्यापारियों के मुताबिक प्लास्टिक की कीमत में मात्र दो माह के दौरान 50 फीसदी की गिरावट आयी है। जो पीपी 125 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बिक रहा था वह 60 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर आ गया है। पिछले एक माह के दौरान अंतरराष्ट्रीय बाजार में हर बुधवार को इसकी कीमत में प्रति किलोग्राम 7-8 रुपये की कमी दर्ज की गयी। पीपी का इस्तेमाल औद्योगिक पैकेजिंग, बॉक्स निर्माण के अलावा बाल्टी, जग जैसे उत्पादों के निर्माण में किया जाता है। औद्योगिक उत्पाद में आयी गिरावट से भी इसका कारोबार प्रभावित हुआ। दूसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि पिछले दो माह के दौरान छोटे व्यापारियों के ऑर्डर एवं डिलिवरी के बीच हर सप्ताह गिरावट का रुख जारी रहा। ऐसे में उन्होंने डिलिवरी लेने से मना कर दिया।इस कारण थोक कारोबारियों को लाखों रुपये का नुकसान हुआ। उनके पास प्लास्टिक का स्टॉक भी अधिक हो गया है। थोक कारोबारी राजेद्र कहते हैं, 'ऐसा नहीं है कि वे कम कीमत पर बेचने के लिए तैयार नहीं हैं पर ग्राहक तो आए। मंदी ने सभी ग्राहकों को गायब कर दिया है।' वे कहते हैं कि जब उन्होंने तेजी में बिक्री की है तो कम कीमत पर भी बिक्री करनी पड़ेगी। कपूर कहते हैं कि इन दिनों कोई कारोबारी चीन से प्लास्टिक सामान का आयात भी नहीं कर रहा है। क्योंकि एक डॉलर का मूल्य लगभग 50 रुपये हो गया है। इसलिए आयातित प्लास्टिक सामान घरेलू से ज्यादा महंगा साबित हो रहा है।सदर इलाके में स्थित प्लास्टिक बाजार से देश के भीतर ही कारोबार होता है। अन्य कई उत्पादों की तरह इस बाजार से किसी भी पड़ोसी मुल्क को प्लास्टिक या प्लास्टिक सामान का निर्यात नहीं किया जाता है। देश के सभी प्रमुख शहरों में इस बाजार का माल जाता है।प्लास्टिक कारोबारी का मानना है कि जल्द ही पहले वाली स्थिति लौट आएगी। वे कहते हैं कि कच्चे तेल की कीमत भी एक सीमा तक ही नीचे जाएगी। उसमें स्थिरता आते ही प्लास्टिक बाजार के हालात ठीक हो जाएंगे। (BS Hindi)

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