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20 नवंबर 2008

क्रूड सोयाबीन तेल पर आयात शुल्क बेअसर

केंद्र सरकार का क्रूड सोयाबीन तेल के आयात पर 20 प्रतिशत शुल्क लगाना प्रभावहीन रहा है। सरकार ने घरेलू उद्योगों व किसानों को राहत देने के लिए यह कदम उठाया है,लेकिन आयातित खाद्य तेलों में क्रूड सोयाबीन तेल की हिस्सेदारी मात्र 15 फीसदी ही होने के कारण घरेलू बाजारों में खाद्य तेलों व तिलहनों के भावों पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा है।सॉल्वेंट एक्सट्रैक्शन एसोसिएशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष अशोक सेतिया ने बताया कि आयातित खाद्य तेलों में क्रूड सोयाबीन तेल की हिस्सेदारी मात्र 15 प्रतिशत है, जबकि क्रूड पाम तेल की हिस्सेदारी 85 प्रतिशत है। अत: केंद्र सरकार को क्रूड पाम तेल पर 30 प्रतिशत आयात शुल्क लगाना चाहिए। सरकार जब क्रूड पाम तेल पर आयात शुल्क लगाएगी तभी घरेलू बाजारों में खाद्य तेलों और तिलहनों के भावों में जारी गिरावट थम सकती है। नवंबर से अक्टूबर तक के चालू तेल वर्ष में खाद्य तेलों का आयात बढ़कर 48.04 लाख टन के स्तर पर पहुंच गया है। इसमें क्रूड पाम तेल का आयात करीब 40.44 लाख टन व क्रूड सोयाबीन तेल का आयात मात्र 7.60 लाख टन है। बीते वर्ष देश में खाद्य तेलों का कुल आयात 43.16 लाख टन का हुआ था। इसमें क्रूड पाम तेल का आयात 29.94 लाख टन व क्रूड सोयाबीन तेल का आयात 13.22 लाख टन था। विश्व भर के बाजारों में खाद्य तेलों के दामों में आई गिरावट के परिणामस्वरूप ही पिछले दो-तीन महीनों में घरेलू खाद्य तेलों व तिलहनों में भी भारी गिरावट देखी गई है। सोयाबीन तेल के भाव जून महीने में 6500 रुपये प्रति क्विंटल थे, जबकि नवंबर महीने में ये घटकर 4000 रुपये प्रति क्विंटल रह गए हैं। उधर, झुनझुनवाला वनस्पति के प्रबंध निदेशक आर्दश झुनझुनवाला ने बताया कि क्रूड पाम तेल के आयात पर कोई शुल्क न लगाना सरकार का सही कदम है। (Business Bhaskar.........R S Rana)

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