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27 अक्तूबर 2008

बेहतर उत्पादन से कॉफी में गिरावट

घरेलू बाजारों में काफी के भावों में गिरावट जारी है। उत्पादन बढ़ने की संभावना से पिछले चार महीनों के दौरान कॉफी की कीमतों मंे करीब 25 फीसदी की गिरावट हो चुकी है। हालांकि इस गिरावट के बावजूद कॉफी कारोबारियों के लिए अगला साल फायदेमंद साबित हो सकता है। क्योंकि दुनिया के दूसर देशों में कॉफी के उत्पादन में करीब एक करोड़ बोरी (60 किलो प्रति बोरी) कमी की आशंका जताई जा रही है। इस साल अक्टूबर से शुरू हुए नए सीजन में भारत में 2.93 लाख टन कॉफी उत्पादन का अनुमान है, जो पिछले वर्ष के 2.62 लाख से 10 फीसदी ज्यादा है। इस साल एक लाख टन अरबिका और 1.93 लाख टन रोबेस्टा कॉफी उत्पादन की संभावना है। कुल घरलू उत्पादन का करीब 80 फीसदी निर्यात हो जाता है। इस बीच, कॉफी की घरलू खपत भी अगले वर्ष बढ़कर 90000 टन होने की उम्मीद है। उधर, चालू वित्त वर्ष के 2.10 लाख टन कॉफी निर्यात के लक्ष्य के अनुरूप पहली छमाही के दौरान निर्यात 8 फीसदी बढ़कर 1.15 लाख टन हो गया है और वर्ष 2008-09 में निर्यात 2.20 लाख टन के पार होने की उम्मीद की जा रही है। यह भी महत्वपूर्ण है कि इस साल निर्यातकों को कॉफी के औसत दाम 112.4 रुपए प्रति किलो मिले हैं।जो पिछले वर्ष के 88.14 रुपए के मुकाबले 24 फीसदी ज्यादा है। वैश्विक कॉफी उत्पादन में भारत की भागीदारी केवल चार फीसदी है। लेकिन वैव्श्रिक कॉफी कारोबार में भारत दुनिया के दस बड़े देशों में शुमार है। ऐसे में दुनिया के दूसर देशों में यदि उत्पादन घटता है तो भारत को फायदा होना तय है। वियतनाम भी प्रमुख निर्यातक है लेकिन वियतनाम से हमारी कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है क्योंकि भारतीय निर्यातक वियतनाम से आयातित कॉफी को प्रोसेस कर रूस भेज रहे हैं। रुपये के मुकाबले डॉलर में आई मजबुती भी कॉफी निर्यातकों के लिए एक सकारात्मक संकेत है। उभरते देशों से मांग निकलने से विश्व बाजार में कॉफी की मांग दो फीसदी बढ़ने की संभावना है। इस दौरान कच्चे तेल की कीमतों में आई गिरावट की वजह से माल भाड़ा में भी कमी आने की संभावना जताई जा रही है। जानकारों के मुताबिक मौजूदा मंदी के माहौल में वैव्श्रिक बाजार में कॉफी कारोबार की स्थिति दूसरी जिंसों के मुकाबले बेहतर रह सकती है। भारत से 50 देशों को काफी का निर्यात किया जाता है। इनमें शामिल इटली को 25 फीसदी, रूस को 9 और जर्मनी को 8 फीसदी निर्यात किया जाता है। इस लिहाज से भारतीय निर्यातकों पर मंदी का असर कम होगा, क्योंकि कॉफी निर्यात में भारत मंदी से सर्वाधिक पीड़ित अमरीका पर निर्भर नहीं है। कॉफी के भावों में मौजूदा गिरावट का कारण वैश्विक वित्तीय संकट है। भारत में बढ़ रहे उत्पादन से भी कॉफी का वैव्श्रिक कारोबर प्रभावित हुआ है। ऐसे में पिछले सप्ताह के दौरान लिफ्फे में जनवरी के वायदा भावों में छह फीसदी की कमी देखी गई है, वहीं न्यूर्याक में पिछले सप्ताह कॉफी के भाव तीन फीसदी घटकर 1668 डॉलर प्रति टन रह गए। इस दौरान एनसीडीईएक्स में दिसंबर और मार्च वायदा के भावों में करीब चार फीसदी की गिरावट देखी गई है। (Business Bhskar)

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