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21 अक्तूबर 2008

बीमारी की चपेट में बासमती की फसल

नई दिल्ली/पानीपत। चालू खरीफ सीजन में केंद्र सरकार द्वारा जारी चावल उत्पादन का 8.32 करोड़ टन का आरंभिक अनुमान गड़बड़ा सकता है। देश के सबसे बड़े धान उत्पादक राज्यों हरियाणा और उत्तर प्रदेश में धान की बासमती किस्म और सामान्य किस्मों में लगे ब्लैक व ब्राउन हॉपर से फसल को भारी नुकसान की आशंका पैदा हो गई है। इसके अलावा नेक ब्लाइट और ब्लास्ट बीमारी का प्रकोप भी कई इलाकों में हुआ है। इसके चलते उत्पादन में तो कमी आएगी ही, गुणवत्ता भी प्रभावित होगी।नई दिल्ली स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) के वैज्ञानिक डॉ. अनिल गुप्ता ने बताया कि सितंबर महीने के आखिर व अक्टूबर महीने के शुरू में धान के उत्पादक क्षेत्रों में वर्षा होने से मौसम में नमी की मात्रा बढ़ गई थी। इससे ब्लैक व ब्राउन हॉपर नामक कीड़ों के प्रकोप के साथ-साथ नेक ब्लाइट तथा ब्लास्ट बीमारी भी धान की फसल पर देखी जा रही है। इनका सबसे ज्यादा असर बासमती पर है। उन्होंने बताया सितंबर के आखिर व अक्टूबर के शुरू में धान की फसल में दाने पड़ने शुरू हो गए थे अत: उस समय फसल को धूप की आश्यकता थी। लेकिन वर्षा होने से मौसम में नमी की मात्रा ज्यादा हो गई। इससे 30 से 40 प्रतिशत फसल प्रभावित हुई है।करनाल स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के गेहूं शोध निदेशालय (डीडब्लूआर) के निदेशक और चावल की किस्मों को विकसित करने वाले देश के प्रतिष्ठित वैज्ञानिक डॉ. बी. मिश्रा ने बताया कि कुरुक्षेत्र, करनाल, पानीपत और यमूनानगर जिलों में बासमती की फसल पर ब्लैक व ब्राउन प्लांट हॉपर का प्रकोप ज्यादा देखा जा रहा है। दाने पड़ने से धान की बालियां मुड़ गई हैं अत: दवाइयों का छिड़काव भी असर नहीं कर पा रहा है। उनका कहना है कि नमी वाले क्षेत्रों में इस बीमारी का ज्यादा प्रकोप है। फरीदाबाद जिले के बांसापूर गांव के किसान धर्म पाल त्यागी ने बताया कि उन्होंने 25 एकड़ में पूसा-1121, पूसा बासमती नं 1 और पूसा-2511 धान लगाया था। फसल भी काफी अच्छी थी लेकिन गत सप्ताह नेक ब्लाइट तथा ब्लास्ट बीमारी से करीब 15 एकड़ की फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई। बाहरी दिल्ली के कुतबगढ़ गांव के युवा किसान जोगिंद्र लांबा ने बताया कि उन्होंने दो एकड़ जमीन में पूसा-1121 धान की फसल लगाई थी। अक्टूबर के पहले पखवाडे तक फसल काफी अच्छी थी और बालियों में धाने पकने शुरू हो गए थे लेकिन गत सप्ताह अचानक कीड़े लगने से पूरी फसल बर्बाद हो गई। डॉ गुप्ता ने बताया कि ब्लैक व ब्राउन हॉपर बालियों से धान खा जाते हैं तथा इनका प्रभाव इतनी जल्दी होता है कि एक-दो दिन में ही पूर का पूरा खेत खाली हो जाता है। (Business Bhaskar..........R S Rana)

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