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29 सितंबर 2008

इनवेस्टर्स गाइड: सोना है उम्मीद की किरण

हाल तक ग्लोबल इकॉनमी के रास्ते में कोई बड़ा रोड़ा नजर नहीं आ रहा था। बाजार में लगातार उछाल का रुख रहा , प्रॉपर्टी की कीमतों में इजाफा हुआ और कमोडिटी की कीमतें भी तेजी की तस्दीक कर रही थीं। लेकिन क्रेडिट संकट के भूचाल से वॉल स्ट्रीट के थर्राते ही हालात नाटकीय तेजी से बदलने लगे। कुछ ही दिनों में स्थिति पूरी तरह बदल गई है। बाजार त्राहि-त्राहि कर रहे हैं , रियल एस्टेट में कीमतें कमजोरी की दुहाई दे रही हैं और ज्यादातर कमोडिटी में जारी तेजी का रुख अब बुझता दिखाई दे रहा है। अगले लक्ष्य पर निशाना साधने के लिए मंदी के सौदे करने वाले कारोबारी बाजार की तरफ टकटकी लगाए हैं , ताकि मौका मिलते ही शिकार ढेर कर दिया जाए। निवेशक हर उत्पाद को लेकर कई सवाल खड़े कर रहे हैं। जो लोग नकदी हाथ में लिए बैठे हैं , उनके लिए भी बाजार कोई खास अवसर दिखाई नहीं दे रहे हैं। तमाम उथल-पुथल के बीच सोना अकेला ऐसी श्रेणी है , जिसने कीमतों में बढ़ोतरी दर्ज की है। यह इस बात का संकेत है कि दिनोंदिन ज्यादा से ज्यादा निवेशक स्टॉक , बॉन्ड और डेरिवेटिव से दूरी बनाकर सोने का दामन थाम रहे हैं। सुनहरी धातु अचानक सुरक्षित किले में तब्दील हो गई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने के दाम एक पखवाड़े से भी कम वक्त में 17 फीसदी से ज्यादा बढ़त के साथ 870 डॉलर प्रति आउंस पर पहुंच गए हैं और संभावना जताई जा रही है कि आगे भी इनमें तेजी देखने को मिलेगी। क्रेडिट संकट ने इस साल ऐसे हालात पैदा कर दिए हैं कि तमाम निवेशक अब शेयरों के बजाए सोने से चांदी काटने के ख्वाब देखने में लगे हैं। (ET Hindi)

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