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22 सितंबर 2008

खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने की मांग

देश के तमाम तिलहन उत्पादक किसान और किसान संगठनों की खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने की मांग जोर पकड़ रही है। मौजूदा समय में देश में क्रूड खाद्य तेल पर कोई आयात शुल्क नहीं है। वहीं रिफाइंड खाद्य तेल पर 7.5 फीसदी आयात शुल्क है। इसके चलते आयातित खाद्य तेल सस्ता हो गया है। अब खरीफ के मौसम में सोया की बंपर फसल होने से किसानों को खतरा पैदा हो गया है क्योंकि आयात शुल्क कम होने के कारण उन्हें अपनी उपज की कम कीमत मिलने की आशंका सता रही है। किसानों का मानना है कि चाहे व सोया हो या मूंगफली, आयात शुल्क नहीं होने की वजह से आयातित खाद्य तेल सस्ता मिलेगा और उन्हें अपनी उपज का सही दाम नहीं मिल पाएगा। किसान संगठन भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं। ऑल इंडिया कॉर्डिनेशन कमेटी फॉर फार्मर्स मूवमेंट के संयोजक युद्धवीर सिंह ने बिजनेस भास्कर से बातचीत में बताया कि अगर बाजार में पहले से ही सस्ता खाद्य तेल मौजूद होगा तो मिल वाले किसानों की उपज का अच्छा मूल्य नहीं देंगे। लिहाजा, सरकार को इस ओर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और आयात शुल्क को बढ़ाना चाहिए जिससे भारतीय किसान अपनी उपज की अच्छी कीमत ले पाएं। उन्होंने बताया कि 18 सितंबर को हमारी सतना में बैठक भी हुई थी और जल्द ही एक और बैठक होगी जिसमें हम किसानों को एकजुट कर आयात शुल्क बढ़ाने के लिए दबाव बनाएंगे।जनवरी 2008 में आयात शुल्क में परिवर्तन किया गया था जिसके तहत क्रूड खाद्य तेल पर आयात शुल्क घटाकर शून्य कर दिया गया था। इससे पहले सोया तेल पर 40 फीसदी आयात शुल्क था और पाम तेल पर म्फ्.त्त फीसदी आयात शुल्क था। सरकार ने देश में खाद्य तेलों के बढ़ते दामों को देखते हुए आयात शुल्क में कमी कर दी थी। लेकिन अब सोया की बंपर फसल होने से किसानों को अपनी उपज के कम दाम मिलने की उम्मीद है। लिहाजा, किसान संगठनों ने आयात शुल्क बढ़ाने की मांग तेज कर दी है। भारतीय कृषक समाज के अध्यक्ष डॉ. कृष्णवीर चौधरी ने कहा कि सरकार को निश्चित तौर पर ही आयात शुल्क में वृद्धि करनी चाहिए नहीं तो किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा कि हम कृषि मंत्री से तत्काल मांग करेंगे कि सोयाबीन किसानों के लिए विशेष खरीद केंद्रों की व्यवस्था की जाए और आयात शुल्क भी जल्द ही बढ़ाया जाए। भारतीय किसान संघ के इंदौर प्रवक्ता जगदीश रावलिया ने बताया किसानों को सोयाबीन के लाभकारी दाम मिलने चाहिएं। सोयाबीन की लागत प्रति क्विंटल 1700 से 1800 रुपये क्विंटल आती है। ऐसे में यह जरूरी हो जाता है कि किसानों को उसकी मेहनत का उचित मूल्य मिले और दाम ऐसे हों जो उसको लाभांवित कर। इसके लिए सरकार को आयात शुल्क बढ़ाना चाहिए। रावलिया ने बताया मध्यप्रदेश में गांव-गांव में किसान संघ के प्रतिनिधि सोयाबीन के लाभकारी दाम मिलने की मांग को लेकर रथयात्राएं भी निकाल रहे हैं। वहीं हैदराबाद से कंसरेटियम ऑफ इंडियन फार्मर्स एसोसिएशन के सेक्रेट्री जनरल चेंगल रेड्डी ने बिजनेस भास्कर को बताया कि सरकार किसानों की मांगों पर कम ध्यान दे रही है। उन्होंने कहा कि वह किसानों के साथ मिलकर कृषि मंत्रालय से आयात शुल्क बढ़ाने की मांग करेंगे। (Business Bhaskar)

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